किच्छा:किच्छा चीनी मिल की बेहतर पेराई के लिए गन्ना किसानों ने मिल के अधिशासी निदेशक त्रिलोक सिंह मर्तोलिया को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। बुधवार को बड़ी संख्या में किसान चीनी मिल पहुंचे। उन्होंने चीनी के उच्चतम उत्पादन के लिए ईडी मर्तोलिया का सम्मान किया। इस दौरान चीनी मिल के गन्ना प्रबंधक ऋषिपाल सिंह, और सॉफ्टवेयर इंचार्ज सतीश फुटेला भी मौजूद रहे। मर्तोलिया ने सभी किसानों का आभार जताया। किच्छा चीनी मिल द्वारा पेराई सत्र 2024-25 के सफलतापूर्वक समापन होने पर 26.02.2025 को क्षेत्र के कृषकों ने मिल के अधिशासी निदेशक श्री त्रिलोक सिंह मर्तोलिया एवं सभी विभागाध्यक्षों को शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया। इस अवसर पर क्षेत्र के गणमान्य कृषक चौधरी सतेन्द्र सिंह, वीर मानवेन्द्र सिंह, प्रताप सिंह, अनिल कुमार सिंह, गंगा सिंह, तीरथ मुंजाल, अली हुसैन आदि के साथ मिल के प्रभारी मुख्य रसायनज्ञ श्री अनिल कुमार पाल, प्रभारी मुख्य अभियन्ता श्री दिनेश चन्द पाण्डे, वरिष्ठ लेखाकार श्री संजय कुमार पाण्डेय एवं प्रभारी गन्ना प्रबन्धक श्री ऋषिपाल सिंह भी उपस्थित रहे। मिल के अधिशासी निदेशक श्री त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने उपस्थित समस्त कृषकों का धन्यवाद ज्ञापित किया। अधिशासी निदेशक ने बताया कि किच्छा चीनी मिल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि बिना ब्रेकडाउन पेराई संपन्न हुई है साथ ही कहा कि चीनी मिल ने अपने संसाधनों से ,78% भुगतान किसानों का कर दिया है, उन्होंने सभी विभागअध्यक्ष और किसानों का आभार जताया!
अधिशासी निदेशक श्री त्रिलोक सिंह मर्तोलिया ने बताया, कि दिनांक 26.02.2025 को प्रातः 03:35 बजे किच्छा चीनी मिल द्वारा पेराई सत्र 2024-25 का सफलतापूर्वक समापन किया गया। पेराई सत्र 2024-25 में किच्छा चीनी मिल द्वारा कुल 30,89,892.70 कुंतल गन्ने की पेराई की गयी है। दिनांक 26.02.2025 को प्रातः 10:00 बजे तक किच्छा चीनी मिल द्वारा कुल 3,02,630 कुंतल चीनी का उत्पादन किया जा चुका है एवं चीनी उत्पादन की प्रक्रिया अभी गतिमान है। गत पेराई सत्र 2023-24 सापेक्ष वर्तमान पेराई सत्र 2024-25 में मिल में तकनीकि बन्दियां भी लगभग 78 प्रतिशत कम रहीं, जिससे मिल का संचालन सुचारु रुप से होता रहा।
अधिशासी निदेशक द्वारा यह भी बताया गया, कि किच्छा चीनी मिल द्वारा अभी तक पेराई सत्र प्रारम्भ दिनांक 18.11.2024 से दिनांक 25.01.2025 तक क्रय किये गये गन्ने का गत वर्ष की दर से कुल गन्ना मूल्य रु0 81.40 करोड़ का भुगतान सम्बन्धित समितियों को स्वयं के संसाधनों से किया जा चुका है।






