नीति आयोग की बैठक को लेकर विपक्ष के दलों का अलग-अलग रुख सामने आ रहा है। एक तरफ ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन जैसे विपक्षी दलों से जुड़े मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर बजटीय आवंटन सहित केंद्र द्वारा राज्यों से भेदभाव के मुद्दे को उठाना चाहते हैं। वहीं, कांग्रेस ने इसका बहिष्कार करने का फैसला किया है। ऊधर, ममता बनर्जी ने कहा, मैंने पहले ही फैसला कर लिया है कि मैं जाऊंगी, लेकिन केंद्र का रवैया अलग है। उन्होंने हमसे कहा है कि हमें लिखकर भेजें कि किस तरह से बंगाल को बजट से वंचित किया गया है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं। ममता का कहना है कि यह भेदभाव पसंद नहीं है। उन्होंने कहा कि बजट में केंद्र सरकार ने भेदभाव किया है। इसीलिए मैंने अपनी आवाज उठाने के लिए नीति आयोग की बैठक में जाने का फैसला किया है। कुछ समय के लिए वहां बैठक में रहूंगी। अगर वे हमें कुछ कहने की इजाजत देंगे तो हम अपनी बात रखेंगे। ममता ने कहा, केंद्र सरकार ने राजनीतिक और आर्थिक नाकेबंदी की है। भाजपा लोगों को और बंगाल को बांटना चाहती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को साफ कर दिया कि वो नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हिस्सा लेंगी। ममता ने यह भी दावा किया है कि उनके साथ झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी नीति आयोग की बैठक का हिस्सा बनेंगे। हालांकि, अभी तक हेमंत सोरेन की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। उन्होंने अपने पिछले दिल्ली दौरे के वक्त यह जरूर कहा था कि जब नीति आयोग की बैठक होगी तो वे राज्य से जुड़े मुद्दे को उठाएंगे।
दिल्ली में 27 जुलाई को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। बैठक में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विकसित भारत 2047 दस्तावेज पर चर्चा की जाएगी। साथ ही 27 से 29 दिसंबर, 2023 के दौरान आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर चर्चा की जाएगी। नीति आयोग की बैठक में पेयजल की पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता, बिजली की गुणवत्ता, एफिशिएंसी और विश्वसनीयता, स्वास्थ्य की पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति की पहुंच, डिजिटलीकरण, रजिस्ट्रेशन और म्यूटेशन के मुद्दे सहित राज्यों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।