*किच्छा के गाँवों क़ो मिले राजस्व भूमिधर का अधिकार – बेहड**
बेहड ने विधानसभा सदन में किच्छा विधानसभा के विभिन्न ग्रामो क़ो राजस्व भूमिधर अधिकार देने का मुद्दा उठाया*
किच्छा विधायक तिलक राज बेहड ने देहरादून में बजट सत्र के तृतीय दिन प्रदेश के निवासियों को भूमिधर अधिकार दिए जाने के संबंध में नियम 58 के तहत किच्छा विधानसभा के विभिन्न गाँवों का विषय रखते हुए भूमिधर अधिकार दिए जाने के सम्बन्ध में कहा कि
किच्छा विधानसभा के अंतर्गत ग्रामसभा नजीमाबाद धौराडाम के निवासियों को लंबे समय से भूमिधर राजस्व का दर्जा नहीं मिला है. आजादी के समय से उत्तर प्रदेश के समय से वह लोग यहां पर रह रहे हैं. यहां का कुछ क्षेत्र वन की भूमि में आता है कुछ क्षेत्र सिंचाई की भूमि में आता है जो लोग वहां बसे हुए हैं और खेती करते हैं और उनकी दुविधा यह है कि डाम का कुछ क्षेत्र तो उत्तर प्रदेश में चला जाता है, उनका वोट वे उत्तराखंड में देते हैं. वे लोग ग्राम प्रधान, जिला पंचायत, विधायक व सांसद चुनते हैं.उत्तर प्रदेश के सिंचाई के लोगों द्वारा उनको नोटिस दिया जाता और उनके खेतों में डाम का पानी छोड़ दिया जाता है ताकि यह लोग यहां से छोड़कर भाग जाए तथा जिस कारण इनकी सिंचाई की भूमि व फसल भी खराब हो जाती है. इस मामले को कई बार सरकार को अवगत कराया गया है. आज राज्य बने हुए 22 -23 साल हो गए है और वो उधम सिंह नगर में रह रहे हैं तो उनको मलिकाना हक़ क्यों नहीं मिल जाता? क्यों नहीं उनको उत्तराखंड को उनको अपना लिया जाता उत्तराखंड की सरकार उनकी ओर ध्यान क्यों नहीं देती?
धौराडाम के अंदर पूर्व समाज, राय सिख बिरादरी के लोग तथा अन्य लोग निवास करते हैं वे लोग वोट तो देते हैं किंतु चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं है उनके साथ दोहरा मापदंड अपनाया जाता है.
इसी प्रकार विधानसभा में और भी गांव है जैसे तुर्कागोरी, गोरीकला, शांतिपुरी नंबर- 5,खुरपिया है. सरकार द्वारा खुरपिया में जबरानी बांध के लोगों को बसाने की तैयारी की जा रही है हमें जबरानी बांध से कोई आपत्ति नहीं है उनको सरकार द्वारा बसाया जाए किंतु खुरपिया के लोगों को क्यों हटाया जाता है. वे लोग आजादी से पहले बसे हुए हैं समय-समय पर उनको हटाने हटाए जाने की बात आती रहती है चाहें स्मार्ट सिटी बननी हो. इनक़ो राजस्व गाँव बनाने भूमिधर अधिकार देने कि सरकार चिंता नहीं करती है.
इसी प्रकार वर्ग चार के मामले भी जिलाधिकारी कार्यालय में लंबित पड़े है. घोषणाएं हो जाती है,शासनादेश हो जाता है,समय बढ़ जाता है, पर फाइले नहीं होती . सरकार को जमीन चाहिए होती है तो सरकारी जमीन को जो सरप्लस निकली हुई है सीलिंग की जमीन को सरकार तुरंत बेच देती है. निविदा के नाम पर किसी को भी सरकारी जमीन दे दी जाती है इसी प्रकार 12- 13 एकड़ जमीन मेरे यहां भी दी गई है. इसी प्रकार इसी तरह अनेकों सरकारी भूमि को खुर्द-पुर्द की तैयारी चल रही है, फाजलपुर मेहरौला की जमीन भी इसी प्रकार खुर्द-पुर्द की जा रही है. सरकार जेल के लिए जमीन की तलाश में है किंतु फाजलपुर में जहां सरकार की जमीन है वहां जेल नहीं बनाई जा रही ऐसे अनेक मामले हैं जा सरकारी फाइल है लंबित पड़ी है इसकी और सरकार ध्यान दें.
और अनेकों गांव ऐसे जो छूट गए हैं जो उत्तराखंड में भी है तथा उत्तर प्रदेश में भी है उनके लिए सरकार मालिकाना देने की व्यवस्था करें. वह लोग अधर में लटके हुए हैं कभी यूपी के लोग आ जाएंगे बुलडोजर लेकर आ जाते है कभी उत्तराखंड वाले कहतर ही कि वन विभाग कीभूमि है खाली कर दो.
जबकि भारत सरकार की सहमति से वहां शक्तिफार्म वाली सड़क भी बनाई गई है.
विधायक बेहड ने कहा कि यह बड़ा ही गंभीर मामला है इस विषय पर सदन की कार्रवाई रोककर चर्चा की जानी चाहिए तथा मुझे बोलने का अवसर दिया गया इसके लिए धन्यवाद.






