उत्तराखंड लेखपाल संघ का कार्य बहिष्कार बुधवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। उन्होंने अंश निर्धारण और फॉर्मर रजिस्ट्री कार्य के लिए पर्याप्त और समुचित समय सीमा प्रदान किए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में प्रत्येक जनपद में अंश निर्धारण का कार्य सम्पादित किए जाने के लिए राजस्व उपनिरीक्षकों पर उपजिलाधिकारियों, तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों द्वारा अनावश्यक दवाब बनाया जा रहा है। उधर, लेखपालों के बहिष्कार से प्रमाण पत्र बनवाने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जबकि मैदानी जनपदों में भूमि की खरीद-फरोख्त ज्यादा होने से अधिकांश खतौनी खाते संयुक्त और जटिल हैं।
इनमें अंश निर्धारण के लिए जनपद के माल अभिलेखागार से भी पुरानी खतौनियां लानी पड़ेंगी और मैदानी जनपदों के जिला माल अभिलेखागार और तहसीलों के रिकॉर्ड रूम में रखी अधिकांश खतौनियां जीर्ण-शीर्ण और कटी-फटी हालत में हैं। लेखपाल पूर्ण मनोयोग से सीमित संसाधनों के साथ अंश निर्धारण फॉर्मर रजिस्ट्री का कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद उन पर नियत समय सीमा का दबाव बनाना अनुचित है। एक मई को राजस्व परिषद ने वर्ष 2025-26 यानि खरीफ 1433 फसली से डिजिटल कॉप सर्वे के लिए प्रत्येक लेखपाल क्षेत्र में न्यूनतम 5 राजस्व ग्रामों का अंश निर्धारण पूर्ण करने का प्रमाणपत्र देने का आदेश जारी किया हैं। यह संसाधनों के अभाव में पूरा किया जाना असंभव है। अंश निर्धारण और फॉर्मर रजिस्ट्री कार्य के लिए पर्याप्त और समुचित समय सीमा प्रदान की जाए। यहां राजस्व उप निरीक्षक ,दलजीत सिंह, दीपक गैड़ा, शेखर आर्य ,पिंटू कुमार गौतम, लक्ष्मण सिंह, अंकित सक्सेना,मौहम्मद अनस, हरेंद्र कुमार, सलमा कादरी, सौम्या, राखी, मुकेश बिष्ट आदि पटवारी मौजूद थे






