भाजपा में आ गये हैं उज्याडू बल्द जो भाजपा में जम और रम गये हैं तथा बड़ी बड़ी तमन्नायें रखने लग गये हैं – हरीश रावत

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Speed news desk :राज्य में नगर निकायों के चुनाव को अक्तूबर के आखिरी सप्ताह में होने की सुगबुगाहट ने राजनीति गर्मा दी है। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ने निकाय चुनाव के रास्ते विधानसभा चुनाव के दंगल के अखाड़ों को सज़ाना शुरु कर दिया है। जिस तरह भाजपा के दिग्गज दिल्ली दरबार में दस्तक दे रहे हैं उससे इतना तो स्पष्ट है कि भाजपा के अन्दर भारी हलचल है। निकाय चुनाव से पहले या बाद में कुर्सी दौड़ शुरू होने वाली है। कांग्रेसी भी आगामी विधानसभा सत्र में तीखे हमले करने को तैयारी में जुटी है। उत्तराखंड की राजनीति में माहिर हो चुके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी अब परिपक्वता दिखाते हुए पार्टी के भीतर असन्तुष्टों के साथ भोजन के साथ साथ गले मिलने के लिए बेताव नजर आ रहे हैं।उत्तराखंड में सत्तारूढ़ बीजेपी को विधानसभा उप-चुनाव में बड़ा झटका लगना बद्रीनाथ और मंगलौर दोनों विधानसभा सीट सत्ताधारी भाजपा के हाथों से निकल जाना मुख्यमंत्री धामी के कद पर अंकुश लगाता है। रिजल्ट को लेकर विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी पर जमकर तंज कसा तथा अन्दरूनी भाजपा के असन्तुष्टों ने भी हार पर रार बढ़ाते हुए भाजपा के दिल्ली दरबार में दस्तक शुरू कर दी है। सभी की नजर उत्तराखंड के निकाय चुनावों पर टिक गयी है, जिससे मुख्यमंत्री धामी और आगामी विधानसभा में भाजपा के भविष्य की पटकथा के साथ नयी दिशा और दशा तय होगी। वहीं कांग्रेस पार्टी के कुछ दिग्गज राजनेता भी सत्ता डोर लपकने को बेताव नजर आ रहे हैं। अब देखना ये होगा कि निकाय चुनाव में देरी से भाजपा की रणनीति को फायदा होता है या नुकसान। लेकिन इतना तो तय है कि भाजपा सरकार में अंदरूनी असन्तुष्टों ने लपट तेज कर दी है जो मुख्यमंत्री धामी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं। वहीं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने फेसबुक एकाउंट से उत्तराखंड के जो हालात शेयर किये हैं, उसने भी राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों बाद दिल्ली आया तो सेंट्रल हॉल में अपने पुराने दोस्तों को खोजने चला गया, पत्रकार भी मिल जाते हैं और राजनीतिक कलाकार भी मिल जाते हैं, तो काफी और टोस्ट का आनंद लेते मुझे बड़ी चौकाने वाली बात सुनाई दी। बोले भई तुम्हारे सांसदगण तो यहां बड़ा दबाव डाल रहे हैं और यह एक खग्गाड़ पुराने भाजपाई से सुनकर के मैं बड़ा चौंका। खैर आगे मैंने और कुरेदने की कोशिश की तो उन्होंने इधर-उधर बातें बहला दी। मैंने सोचा शायद इससे ज्यादा नहीं कहना चाहते, मैं इंतफाक से जो है प्रेस क्लब भी चला गया वहां बहुत सारे लोग मिले, कुछ हमारे पहाड़ी पत्रकार बंधु भी मिले जो आजकल भाजपा के गुणगान में लगे हुए हैं तो उनसे कुरेदते-कुरेदते पता चला कि कुछ *उज्याडू बल्द* अब यहां तक भाजपा में जम और रम गए हैं कि वह बड़ी तमन्नाएं रखने लग गए हैं तो मुझे दोनों जगह सूंघने पर लगा कि कुछ न कुछ है, अब क्या है भगवान जाने? और यूं भी नीचे परिवर्तन करते रहो और ऊपर जमे रहो, यह भाजपा का राजनीतिक मंत्र है।

 

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