आपदा से जनता को बचाने वालों की जान खुद खतरे में, जर्जर भवन में काम करने को मजबूर अधिकारी

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उधम सिंह नगर:आपदा से क्षेत्र की जनता की सुरक्षा और रक्षा की जिम्मेदारी वही अधिकारियों की होती है, जो अपनी जान को जोखिम में डालकर अपने कार्यालय में काम करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. इस परिस्थिति का उदाहरण जिले की किच्छा तहसील के अधिकारियों के साथ दिखता है, जहां उन्होंने अंग्रेजों की ओर से बनाए गए भवन में कार्य करने का निर्णय लिया है. हालांकि भवन की हालत काफी खराब है, फिर भी इन अधिकारियों ने अपनी सुरक्षा को खतरे में डालकर उपयोगकर्ताओं की सेवा को प्राथमिकता देने के लिए संकल्पित किया है.

उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित किच्छा तहसील, जिसका इतिहास तहसील बनने के बाद से जुड़ा हुआ है, अंग्रेजी हुकूमत की ओर से बनाए गए भवन में संचालित हो रहा है. किच्छा तहसील प्रदेश की सबसे पुराने तहसीलों में से एक है और तहसील भवन में काम करने वाले अधिकारियों को अपनी जान को खतरे में डालकर काम करने की आवश्यकता है.
अंग्रेजों की ओर से बनाई गई थी तहसील
एसडीएम कौस्तुभ मिश्रा ने बताया कि किच्छा तहसील क्षेत्र की सबसे पुरानी तहसीलों में से एक है और यह तहसील आज भी अंग्रेजों की ओर से बनाए गए भवन में संचालित हो रही है. हालांकि इन भवनों की कुछ दीवारों से प्लास्टर टूट रहा है, इसके लिए तहसील भवन की रिपेयरिंग के लिए जिला आपदा विभाग को प्रस्ताव बनाकर भेज दिया जाएगा. यदि बजट स्वीकृत होता है, तो तहसील भवन की रिपेयरिंग की प्रक्रिया आरंभ की जाएगी.

जल्द शुरू होगा काम
एसडीएम ने यह भी बताया कि तहसील के नए भवन के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है. जब मंजूरी प्राप्त होती है, तो एक नया तहसील भवन निर्माण किया जाएगा, जिससे तहसील के सभी कामों का संचालन किया जा सकेगा.

किच्छा तहसील भारत के उत्तराखंड राज्य में उधम सिंह नगर जनपद की एक तहसील है। उधम सिंह नगर जनपद के मध्य भाग में स्थित इस तहसील के मुख्यालय किच्छा नगर में स्थित हैं। इसके पूर्व में सितारगंज तहसील, पश्चिम में गदरपुर तहसील, उत्तर में नैनीताल जनपद की लालकुआँ तथा हल्द्वानी तहसील, तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश राज्य का बरेली जिला है।

इतिहास

उन्नीसवीं सदी के अन्त तक किच्छा से लेकर बनबसा तक थारुओं की बस्ती थीं और इस क्षेत्र को बिलारी कहा जाता था। अंग्रेजों के आगमन के उपरान्त बरेली-काठगोदाम रेल-लाइन और बरेली-नैनीताल सड़क मार्ग के निर्माण के कारण किच्छा एक प्रमुख व्यापारिक स्थान के रुप में उभरने लगा। चीनी मिल व धान मिलें भी इस शहर के आस-पास स्थापित हुई। किच्छा से चारों दिशाओं की ओर राजमार्गों का जाल बिछा है। बरेली-हल्द्वानी वहीं बरेली-काशीपुर रेलमार्ग पर किच्छा महत्वपूर्ण रेल स्टेशन है। दिनांक १४ अक्टूबर १९७१ के द्वारा किच्छा को टाउन एरिया घोषित किया था। ८ अक्टूबर १९८५ के द्वारा टाउन एरिया कमेटी किच्छा का चतुर्थ श्रेणी की नगरपालिका का स्तर प्रदान किया गया।

भूगोल

भौगोलिक दृष्टि से किच्छा तराई क्षेत्र में स्थित है तथा जलवायु शीतोष्ण प्रकार की है किच्छा के पूर्व में गोला नदी स्थित है तथा दक्षिण में उत्तर प्रदेश से सीमा बनाता है तथा उत्तर में नैनीताल जिले से सीमा बनाता है एंड वेस्ट इन उधम सिंह नगर का रुद्रपुर सिटी है

समाज

सामाजिक दृष्टि से किच्छा में सभी प्रकार के धर्मों के व्यक्तियों का निवास है तथा सभी धर्मों के लोग मिल जुल कर रहना पसंद करते हैं

राजनीति

राजनीति के क्षेत्र में किच्छा एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है किच्छा की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी विधानसभा चुनाव में उतर चुके हैं.

आवागमन

सड़क मार्ग से किच्छा राष्ट्रीय राजमार्ग ९ (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग ७४) और उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग ३७ द्वारा जुड़ा है। बरेली और सितारगंज तथा काशीपुर तक फोरलेन कि सुविधा भी उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त यह बरेली-काठगोदाम रेलवे लाइन पर स्थित है। यहां से सूरत अहमदाबाद मुंबई हावड़ा पटना बनारस लख़नऊ कानपुर बरेली आगरा मथुरा काशीपुर रामनगर के लिए सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। यहां से १० किलोमीटर दूर पंतनगर एयरपोर्ट है। जहां से दिल्ली और देहरादून के लिए नियमित सेवा उपलब्ध है।

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