किच्छा चीनी मिल के अधिशासी निदेशक त्रिलोक सिंह मार्तोलिया की अध्यक्षता में किच्छा चीनी मिल एवं किसानों की 52 वीं वार्षिक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें वर्ष 20 23/2024 के वित्तीय लेखा जोखा पेश किया गया । बैठक में अंशः धारक किसानों ने भाग लिया विभिन्न समस्याओं से अवगत कराया । बैठक प्रारंभ करने के उपरांत पूर्व अध्यक्ष डी एन मिश्रा को 2 मिनट का मन रखकर श्रद्धांजलि दी गई तथा नए अध्यक्ष के रूप में कृषक वीर मानवेंद्र सिंह को चुना गया इसके उपरांत नए चुने गए अध्यक्ष वीर मानवेंद्र सिंह की अध्यक्षता में वार्षिक साधारण की बैठक प्रारंभ की गई तथा विगत वित्तीय लेखा जोखा को अनुमोदित किया गया । बैठक में कृषक गोष्ठी का भी आयोजित किया गया जिसमें कृषकों की तमाम समस्याओं को सुना गया और उनके निदान के लिए प्रस्ताव लाए गए। अधिशासी निदेशक त्रिलोक सिंह मार्तोलिया ने उपस्थित सभी किसान भाइयों का धन्यवाद करते हुए कहा कि हम लोगों ने काम कर लिया है उसको भी अपडेट किया शासन द्वारा सहमत दी गई है हम लोगों ने तीन वायलारों से काम चला रहे है । चौथ बॉलर यहां पर भाप इंजन वाला इंजन था।मिल पुरानी है।भाप इंजन को भी चेंज कर दिया गया है ।पहली बार मिल में कोई ब्रेक डाउन नहीं हुआ है।आठ लाख चौरासी हजार गन्ना पेराई कर चुकी है। रिकवरी भी ठीक है रिकवरी 70 हजार बोरी चीनी तैयार हो चुकी है।आर्थिक नुकसान से बचाया । चीनी मिल का तीन अरब का जो बकाया है उसे सरकार से माफ करने की मांग की जाएगी। लिमिट भी कम इस्तेमाल किया है।11.53करोड़ का गन्ना भुगतान किया है। चार हजार की केपी सिटी परन्तु बाइलिंग कैपेसिटी की वजह से प्रभावित हो रही है।
किसानों ने कहा कि अंशधारक कृषक एवं शुगर फैक्ट्री के बीच सीधा समन्वय होना चाहिए इसमें गन्ना समिति का कोई भी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए उन्होंने बैठक में अध्यक्ष से निवेदन किया कि कृषक एवं चीनी मिल के बीच समिति को सम्मिलित करना किसानों के हित में नहीं है तथा इससे चीनी मिल को कृषकों के बीच होने वाले लाभ हानि पर प्रभाव पड़ेगा बैठक में गन्ना पर्चियां को लेकर के किसानों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई , सहायक गन्ना आयुक्त उधम सिंह नगर आशीष नेगी, एस सी डी आई महेश प्रसाद, कैन मैनेजर ऋषिपाल सिंह, महेश चंद्र यादव गन्ना सचिव महेश चंद्र यादव, लेखाकार संजय पांडे, शेखर पाठक, स्वतंत्र निदेशक देवव्रत राणा जी,कृषक एवं डॉ गणेश उपाध्याय,अंकुर,नरेंद्रकुमार पपनेजा, सुरेश पपनेजा, मोहम्मद यासीन ,मोहम्मद ताहिर, अकिल मलिक, केन इंस्पेक्टर दुर्गेंद्र सिंह, दीपक कुमार, उमेश चन्द तिवारी, सुपरवाइजर अरविंद यादव, अतुल अग्रवाल, तीरथ सिंह, कंपनी सेक्रेटरी हर्ष , दर्जनों कृषक मिल कर्मचारी उपस्थित थे ।
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कृषकों के खाते में एचडीएफसी बैंक द्वारा समय पर भुगतान न दिए जाने पर खासा विवाद बना रहा। किसानों का आरोप था कि एचडीएफसी बैंक द्वारा किसानों के खातों में पैसे का भुगतान विलंब से किया जा रहा है जिससे किसानों को खासा दिक्कत हो रही है इसका कारण एचडीएफसी बैंक का वाइब्रेंट कंपनी के सॉफ्टवेयर से टाइप है है। कृषकों का कहना है कि बार-बार सॉफ्टवेयर की दिक्कत से किसानों को खासा नुकसान हो रहा है इस पर गन्ना समिति के सहायक आयुक्त ने किसानों की समस्या पर कहा कि कुछ दिनों के लिए दिक्कत आई थी बैंक द्वारा पैसा खाते में डाल दिया गया था किंतु वह पैसा वापस आ गया जिसे पुनः किसानों के खाते में डाला जा रहा है उन्होंने बताया कि अभी भी किसानों का 45 लाख रुपया किसानों के खाते में नहीं जा पाया है जो शीघ्र ही डाल दिया जाएगा।
किच्छा शुगर फैक्ट्री के 52 वी में वार्षिक बैठक में डॉ० गणेश उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखण्ड में लगातार चीनी उत्पादन में कमी देखने को मिली है। वही पक्की खेती के नाम से मशहूर गन्ना फसल से किसान दूरी बनाते नजर आ रहें है। जिले में गन्ने का रकबा भी लगातार घट रहा है। इस बार लगातार तीन दिन लगातार व तेज हवा चलने के वजह से किसानों का गन्ना गिर गया था। जिसमें उनकी उत्पादन लागत कम से कम 20 से 30% कम हो गई है, बीमारी व पालतू जानवरो नुकसान अलग से किया हैं । जिसका मुख्य कारण खेत की जुताई से लेकर चीनी मिल तक गन्ना पहुंचाने में मंहगाई ने किसान की कमर तोड़ दी है। डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी, मंहगाई से गन्ना की जुताई में 12 हजार रू०, बीज 16 हजार रु०, बीज शोधन पर 7 हजार रू०, गन्ना बुवाई व लेबर 10 हजार रु०, निराई गुड़ाई 12 हजार रु, सिंचाई पर 6 हजार रु०, दवाई खाद पर 15 हजार रु, देखभाल साफ सफाई पर 2 हजार रु, कटाई पर 18 हजार रु, गन्ना ढ़ुलाई पर 9 हजार रु समेत प्रति एकड़ में 300 कुंतल गन्ने की फसल उत्पादन पर लगभग ₹ 1 लाख 8 हजार रू का खर्च आ रहा है। जबकि नवीन गन्ना मूल्य के अनुसार लगभग 1 लाख 9 हजार रू० प्रति एकड़ किसानों को सरकार द्वारा दिया जा रहा हैं